बहुत दिल दुखा रहीं
हैं कविता ।
ये वो कविता नहीं
जिसे मैंने कभी
पढ़ा हो,या रचा हो
यह वो कविता हैं
जिसे मैने महसूस
किया हैं
जो फुलों सी महक़ का
अहसास हैं
जो दो खामौश अधरों
की प्यास हैं
जो सागर सी
इठलाती,बलखाती हैं
जो तुम्हारे साथ
बिताए लम्हों पर इतराती हैं
और हर दिन सजाती हैं
इक़ नई कविता।
हाँ आज याद आ रहीं
हैं कविता
बहुत दिल दुखा रहीं
हैं कविता ।
तरूण कुमार,सावन
सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा अप्पकी रचनाओ को पढ़कर , और एक अच्छे ब्लॉग फॉलो करने का अवसर मिला !