मजिंल का पता शायद आने वाला साल बताएँगा
प्यार की लाली ही क़ाफ़ी है
फ़ागुन का गुलाल रहने दो
अपने हाथों का क़माल रहने दो
हमें ये मलाल रहने दो
हमारे हिस्सें में ज़न्नत हैं तो ज़मीं पर
क्यूँ
नहीं मिलती ये सवाल रहने दो
तुम्हारे बिन जो गुज़र रहें हैं दिन
उनका हाल-चाल रहने दो
जो टूटकर गिरा हैं आँख से वो ही हाल बताएँगा
हमारा हाल-चाल क्या गुजरा हुआ साल बताएँगा
मछली का ये जाल रहने दो
ख़त भेजा हैं ख़त का ज़वाब
दें देना, ये मोबाईल रहने
दो
चूप-चूप मेरी आवाज़ सुनने का
ये बहाना भी अच्छा है
सीधें कॉल कर लेना
अब ये मिस कॉल रहने दो
तुम्हें पाकर हुआ हैं जो मालामाल बताएँगा
हमारे दिल का हाल अब नया साल बताएँगा
तरूण कुमार, सावन
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएं !
अति सुंदर ।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की शुभकामनाएँ ।
गज़ब,नववर्ष की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... पर ये मिस काल तो अदा है हसीं लोगों की ... सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मंगलमय हो आपको ...
भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपको नववर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएँ !! :-)
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
बहुत ही उम्दा आपके ब्लॉग पे आने का पहला मौका और आप असफल लेखक तो किसी भी कोने से नहीं लगते ...
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही खूबसूरत रचना ! बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
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