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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

कविता - नया साल



ग्रहों की चाल देखकर क्या कोई हाले दिल बताएँगा

मजिंल का पता शायद आने वाला साल बताएँगा



प्यार की लाली ही क़ाफ़ी है

फ़ागुन का गुलाल रहने दो

अपने हाथों का क़माल रहने दो

हमें ये मलाल रहने दो

हमारे हिस्सें में ज़न्नत हैं तो ज़मीं पर क्यूँ

नहीं मिलती ये सवाल रहने दो

तुम्हारे बिन जो गुज़र रहें हैं दिन

उनका हाल-चाल रहने दो



जो टूटकर गिरा हैं आँख से वो ही हाल बताएँगा

हमारा हाल-चाल क्या गुजरा हुआ साल बताएँगा



किसी के बालों में उलझे हैं
मछली का ये जाल रहने दो

ख़त भेजा हैं ख़त का ज़वाब

दें देना, ये मोबाईल रहने दो

चूप-चूप मेरी आवाज़ सुनने का

ये बहाना भी अच्छा है

सीधें कॉल कर लेना

अब ये मिस कॉल रहने दो



तुम्हें पाकर हुआ हैं जो मालामाल बताएँगा

हमारे दिल का हाल अब नया साल बताएँगा



तरूण कुमार, सावन


15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर.
    नव वर्ष की शुभकामनाएं !

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  2. अति सुंदर ।
    नववर्ष की शुभकामनाएँ ।

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  3. बहुत खूब ... पर ये मिस काल तो अदा है हसीं लोगों की ... सुन्दर रचना ...
    नव वर्ष मंगलमय हो आपको ...

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  4. बहुत सुन्दर रचना
    आपको नववर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. बहुत ही उम्दा आपके ब्लॉग पे आने का पहला मौका और आप असफल लेखक तो किसी भी कोने से नहीं लगते ...

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  6. बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना।

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  7. वाह ! बहुत ही खूबसूरत रचना ! बहुत खूब।

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