
.jpg)
दर असल यूरोप समाज में एक बडा वर्ग हैं जो
शरीर की आजादी को पहली और आखरी आजादी की कसौटी मानता हैं । यानी जो बेपर्दा है वही
सच हैं । जिस्म की आजादी की वकालत करने वाला एक समुह हमारे देश में खडा हो गया है , पशिचमी
देशों की तरह ।
आज तक नारी खुद को वस्त्रों के आवरण में
छिपाती आयी है और उसने कभी सरेआम न्यूड होने की बात नहीं कही । भले ही हमने पूनम
पाडे को न्यूड होने की इंजाजत न दी हो ,लेकिन क्यां आने वाले समय में कोई आवरण
मुक्त होने के लिए कानून का दरवाजा खटखटाएगां तो क्या हम उसे रोक पाएगे नहीं, क्योंकि
उस समय उसके पीछे एक बहुत बडा स्वतंत्रताकामी समुह खडा होगा। हमारे पास ऐसा कोई
कानून नहीं होंगा जो इस समूह को रोक सकें । सिवाय कुछ कमजोर दलिलों के और उन कमजोर
से दलिलों काम चलने वाला नहीं हैं। हमें जल्द ही ऐसे कानून का निर्माण करना होगा
जो वस्त्रों के आवरण से समाज को मुक्त न होने दें ।
तरूण कुमार
(सावन)
(अमर उजाला काँम्पेक्ट समाचार-पत्र में प्रकाशित)