जब भी अकेला होता हूँ तुमसे बाते कर लेता हूँ।
जानता हूँ तुम सुन नहीं रहीं हो, फिर भी मन नहीं मनता। ऐसा भी नहीं हैं कि मेरे
आस-पास लोग नहीं हैं बाते करनें के लिए। मगर
उनसे बाते करते हुए कुछ अच्छा नहीं लगता हैं।
तुम्हें सोचते हुए जाने-पहचाने रास्तों पर अनजाने
ही निकल पड़ता हूँ। यूँ तो हम दोनों की सोच मेल नहीं ख़ाती। मगर तुम्हारे ख़्यालों
से लड़ते-झगड़ते हुए लगता हैं तुम भी साथ चल रहीं हो।
रास्ते में दिख जाता हैं वो मंदिर जहाँ हम अक्सर
मिलते थे। भगवान के पास बैठ कर कई बार साथ जीने-मरने की कसमें खाई। लेकिन आज वहाँ
मेरे लिए कोई भगवान नहीं हैं, तुम जो मेरे साथ नहीं हो। बिना भगवान के दर्शन किए
ही आगें बड़ जाता हूँ।
पास में ही वह काँलेज हैं हमारा, जहाँ मैने
तुम्हें पहली बार देखा था। सब कुछ बदल गया था मेरे लिए, कभी-कभी काँलेज जाने वाले
कदम हर दिन पड़ने लगें थे काँलेज में। शायद प्रेम का पाठ पढ़ने की जल्दी थी। वह
काँलेज तुम्हारे जाने के बाद छोड़ दिया हैं, कोई प्रेम का पाठ पढ़ाने वाला जो नहीं
रहा। फ़िर भी कभी-कभी ऊब कर जा बैठता हूँ काँलेज की सीड़ियों पर, इस विश्वास के
साथ शायद किसी दिन फिर तुम मेरी बगल में आकर बैठ जाओंगी।
ये लो मैं काँलेज की बाते करता-करता पार्क तक आ
गया। यह ही हैं वो ज़न्नत जहाँ हमारी मोहब्बत परबान चड़ी थी। वहाँ सामने वो बड़ा
सा पेड़ हैं, जिसके साएं में बैठ कर हम दोनों बाते किया करते थे। जिस पर तुमने एक
दिल बना कर हम दोनों के नाम लिख दिए थे। जो धीरे-धीरे मिट रहें हैं। मन तो करता
हैं जाकर उन्हें फ़िर से सवार दूँ। लेकिन यह सोच कर रह जाता हूँ अब इसकी ज़रूरत
क्या हैं। यहीं वह जगह भी हैं जहाँ तुम मुझे अकेला छोड़ गई थी। सदा के लिए फ़िर
कभी न लोटने की कह कर। हरियाली में जाकर जख़्म हरे हो जाते हैं। इसलिए नहीं जाता
उधर कभी।
ये मेरी प्रेम कहानी अन्तिम अध्याय हैं,लेकिन इस
शहर का आख़री पड़ाव नहीं हैं। यहाँ से आगे भी अनजान सड़के है, गुमनाम गलियाँ हैं।
और न जाने मेरी ही जैसी कितनी ही अँधूरी प्रेम कहानियाँ हैं। लेकिन में वहाँ कभी
नहीं जाता। तुमसे प्रेम करके में स्वार्थी भी हो गया हूँ। ईश्वर से जब भी माँगता
हूँ, अपने लिए तुम्हें ही बस यहीं तक सीमित होकर रह गया हूँ। इस असीमित संसार में।
बहुत ही सुंदर कहानी।
जवाब देंहटाएंसुंदर कहानी
जवाब देंहटाएंभावुक कहानी.
जवाब देंहटाएंगहन!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण कहानी...
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली कहानी......बहुत बहुत बधाई.....
जवाब देंहटाएंSundar kahani
जवाब देंहटाएंSundar kahani
जवाब देंहटाएंसार्थक व प्रशंसनीय रचना...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
दोस्तो भाइयो read me also justiceleague-justice.blogspot.com
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 17 सितम्बर 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कहानी.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंTo good
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