आज बहुत कोशिश करने पर भी कुछ नहीं लिख पाया।
शायद अब लिखने के लिए बहुत कुछ हैं, बहुत कुछ में जो कुछ था लिखने के लिए वहीं
कहीं खो गया हैं। कलम ने लिखने से इनक़ार कर दिया हैं, पृष्ठों से शब्दों ने दूरी
बना ली हैं। मन अनमना हैं दिल कह रहा हैं लिख दूँ अपने प्रेम का इतिहास, दूरी की
प्यास, कुछ छंद आस के विश्वास के।
लेकिन जब आस के सूर्य से विश्वास के देवता मुह
फेर लें तो क्या रह जाता हैं, लिखने कहने के लिए। सिर्फ स्मृति के मानचित्र पर कुछ
चित्र इतिहास के। जहाँ ह्रास-परिहास है, कुछ सपने हैं, रूठने-मनाने के सिलसिलें
हैं, देर से आने के मौलिक बहाने हैं। उसके बहार फ़िर वहीं आह, आँसू, विरह, वैदना
के समंदर में डुबने तेरने की नीरस, उबाऊँ प्रयास। नींद, चैन, सुक़ून, सपने,
उम्मीदें सब का एक साथ मर जाना।
यह सब गिनाते हुए ऐसा लग रहा हैं, जैसे कोई मरीज़
ड़ॉक्टर को किसी बिमारी के लक्षण गिना रहा हो। (नींद नहीं आती हैं, भुख तो जैसे मर
ही गई हैं) कुछ लोग मानते भी हैं प्रेम एक बिमारी हैं। अगर बिमारी हैं तो इलाज़
हैं इलाज़ हैं तो दवाए भी होनी चाहिए। कोई हमें बताए तो सहीं, किसी प्रेम में
पाग़ल प्रेमी के लिए क्या इलाज़ हो सकता हैं, आँख से गिरते अश्को के लिए कौन सी
दवा हैं। बड़ी-बड़ी बातों के बीच इस छोटे से सवाल का जवाब नहीं मिलता। कहते हैं,
जहाँ दवा काम नहीं आती वहाँ दुआएँ काम आती हैं।
दुआएँ जो भगवान की दया पर चलती हैं। जब भगवान ने
पृथ्वी पर प्रेम की सत्ता साधने हेतु अवतार लिया। कृष्ण बन राधा से प्रेम किया।
संसार को गीता का ज्ञान दिया। द्वारिकाधिपती हुए तो मोहन को लगा कि उन्होंने सब कुछ जीत लिया हैं।
एक दिन कृष्ण ने राधा से कहाँ एक ऐसी जगह बताओं जहाँ में नहीं हूँ ? राधा ने कहाँ, यूँ तो कण-कण में हो मोहन बस मेरे
भाग्य में नहीं हो। कितना सहज हैं ज्ञान प्राप्त करना देना कितना सरल हैं राजा हो
जाना। इस अमर संसार में किसी का होकर उसे पाना कितना कठिन हैं। जहाँ भगवान के भी हाथ
ख़ाली रह गए। भरतीय इतिहास में प्रेम का पहला अध्याय ही अधूरा हैं। जहाँ से दुनिया
को प्रेम का सन्देश मिला, और आज तक हर प्रेम कहानी अधूरी हैं।
जिन्होने प्रेम को पा लिया उनका कभी इतिहास लिखा
ही नहीं गया। प्रेम को बस प्रेम ही रहने दे क्या मिला क्या ख़ोया लिख देने भर से
क्या होंगा। इतिहास के वो मधुमास लिख देने से क्या विरह वैदना का वो सागर भर
जाएँगा। नही, कभी नहीं बस कुछ ज़ख्म फ़िर हरें हो जाएँगे, कुछ आँखे फ़िर नम हो
जाएँगी, ये सवाल फ़िर खड़ा हो जाएँगा, क्यूँ दो हाथ हाथों में आते-आते रह गए। इस
सवाल का जवाब मेरे पास तो क्या भगवान के पास भी नहीं हैं।
फ़िर ये लिखने की ज़ीद क्यों, लिखने की ज़ीद या
कुछ भुलाने की कोशिश क्या मज़ाक हैं। याद आती हैं भुलाने की कोशिश करनी पड़ती हैं।
इस भुलाने की कोशिश में वो हर बार याद आ जाती हैं। कोई कविता गीत ग़ज़ल कहानी बन
छलक पड़ती हैं, दर्द का इतिहास फ़िर दोहौराया जाता हैं। भुलाने की कोशिश, लिखने की
कोशिश, ये कोशिश चलती रहती हैं। लिजिए लिख दिया हैं कुछ इतिहास से, कुछ आप से, कुछ
अपने पास से पढ़कर बताईएँगा ज़रूर कैसा लिखा हैं।
तरूण कुमार, सावन
मन के भाव बाहर आने ही चाहिए.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : तनहा शाम है
wah bahut khoob....na na karte karte bhi apne umda likh diya
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लेख।
जवाब देंहटाएंमन के भीतर न जाने कितने भाव छिपे होते हैं...उन भावों को अभिव्यक्त करना ही कला है...मन के भावों की सुंदर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंजहाँ भगवान के भी हाथ ख़ाली रह गए। भरतीय इतिहास में प्रेम का पहला अध्याय ही अधूरा हैं। जहाँ से दुनिया को प्रेम का सन्देश मिला, और आज तक हर प्रेम कहानी अधूरी हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है आपने !!
भावपूर्ण सुन्दर लेख ............. लिखने के बाद का सुख कहा नहीं जा सकता!
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
लिखने से मन को सुकून मिल जाता है ...बढ़िया प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत भावपूर्ण...दिल को छूते अहसास...बहुत बढ़िया..शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण आलेख! साभार! सावन जी!
जवाब देंहटाएंधरती की गोद
आपका blog अच्छा है। मै भी Social Work करती हूं।
जवाब देंहटाएंअनार शब्द सुनते ही एक कहावत स्मरण हो आता है-‘एक अनार, सौ बीमार।' चौंकिए मत, अनार बीमारियों का घर नहीं है, बल्कि यह तो हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इससे उपचार और अन्य आयुर्वेदा के टीप्स पढ़ने के लिए यहां पर Click करें और पसंद आये तो इसे जरूर Share करें ताकि अधिक से अधिक लोग इसका फायदा उठा सकें। अनार से उपचार
बहुत उम्दा..
जवाब देंहटाएंअक्सर जब मन होता हैं तो हम लिख नही पाते और जब लिखने का समय नही होता बहुत ख्याल उभरते हैं.
लेकिन आप न न करके बहुत कुछ लिख ही गए.
बहुत उम्दा..
जवाब देंहटाएंअगर बिमारी हैं तो इलाज़ हैं इलाज़ हैं तो दवाए भी होनी चाहिए। कोई हमें बताए तो सहीं, किसी प्रेम में पाग़ल प्रेमी के लिए क्या इलाज़ हो सकता हैं, आँख से गिरते अश्को के लिए कौन सी दवा हैं। बड़ी-बड़ी बातों के बीच इस छोटे से सवाल का जवाब नहीं मिलता। कहते हैं, जहाँ दवा काम नहीं आती वहाँ दुआएँ काम आती हैं।
दुआएँ जो भगवान की दया पर चलती हैं। जब भगवान ने पृथ्वी पर प्रेम की सत्ता साधने हेतु अवतार लिया। कृष्ण बन राधा से प्रेम किया। संसार को गीता का ज्ञान दिया। द्वारिकाधिपती हुए तो मोहन को लगा कि उन्होंने सब कुछ जीत लिया हैं। एक दिन कृष्ण ने राधा से कहाँ एक ऐसी जगह बताओं जहाँ में नहीं हूँ ? राधा ने कहाँ, यूँ तो कण-कण में हो मोहन बस मेरे भाग्य में नहीं हो। कितना सहज हैं ज्ञान प्राप्त करना देना कितना सरल हैं राजा हो जाना। इस अमर संसार में किसी का होकर उसे पाना कितना कठिन हैं। जहाँ भगवान के भी हाथ ख़ाली रह गए। भरतीय इतिहास में प्रेम का पहला अध्याय ही अधूरा हैं। जहाँ से दुनिया को प्रेम का सन्देश मिला, और आज तक हर प्रेम कहानी अधूरी हैं।
बहुत सुन्दर एवं रोचक लेख
जवाब देंहटाएंकोटि कोटि नमन कि आज हम आज़ाद हैं
दिल को छूते अहसास
जवाब देंहटाएंIt?s really a great and useful piece of information. I?m happy that you just shared this helpful information with us.Shoppal and Coupondesh are all about deals, discounts and coupons.
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