राम राज्य का सपना हो आँखों में,
और
रावण के हाथों में प्रबंधन हो।
ऐसे
हालातों में कहों कैसे,
जन गण
मन गण का अभिनंदन हो।
सीता
को ढुढने कौन जाए जब,
दशानन
की कैद में रघुनंदन हो।
सती-सावित्री कुलटा कहलाए,
जिस
देश का राजा स्वयं दुर्योधन हो।
छोटों
से उम्मीद करें वे लक्ष्मन हो।
गोकुल
में दूध दही की रक्षा कौन करे,
जब
माखनचोर का कंस से घठबंधंन हो।
सर्प और सपोलो के विश दंश से मुक्त हो
तो
निरवल के माथे पर भी चंदन हो।
ऐसे
हालातों में कहों कैसे,
जन गण
मन गण का अभिनंदन हो।।
वेद
मंत्र बाँचने वालों के होंटों पर,
जातिवादि
अमर्यादित प्रवचन हो।
बाँची
न हो जिन्होंने कुरान,
उन
कंठों से राष्ट्र गान का मानमर्दन हो।
योगी
के भेष में भोगी पुजें,
सुविधा
सम्पन्न विलासी जीवन हो।
सदाचार
का पाठ पढ़ा भविष्य
उज्जवल
बनाने वाले बलात्कारी हो।
नारी
का तन साड़ी को तरसे
देश का
हर तरूण बालबृह्रमचारी हो।
भूत से
वर्तमान को संकट हो,
आने
वाला भविष्य दिशाहिन हो।
ऐसे
हालातों में कैसे,
जन गण
मन गण का अभिनंदन हो।।
फूल-फूल
पर कांटों की पहरेदारी हो,
वन उपवन महकाने की जिम्मेदारी हो।
पाषाणों
के ह्रदय से भी फुटे आँसू
पत्थर
को पत्थर कहने की नादानी हो।
कोयल
के कंठों में हो व्याकुलता
गीत
मिलन के गाने की लाचारी हो।
नैनों
में नीर भरी बदली हो
मरूस्थल में बरसता सावन हो।।
ऐसे
हालातों में कैसे,
जन गण
मन गण का अभिनंदन हो।।
द सी एक्सप्रेस समाचार पत्र में प्रकाशित
द सी एक्सप्रेस समाचार पत्र में प्रकाशित
तरूण कुमार, सावन