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शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

राख़ी याद आती हैं


सावन आया सजनें लगें मेले, तो राख़ी याद आती हैं।
बहना हैं ससुराल में, सुने हुए झुले, तो राख़ी याद आती हैं।
कल तक थी माँ-बाप की छाओं में, अब सास-ससुर के गाओं में
जब घर की याद आता हैं, तो माँ की याद आती हैं।
जब बहना याद आती हैं, तो राख़ी याद आती हैं।

बहना के हाथ का रोली चावल चंदन करें माथे का अभिनंदन।
सजाएं कलाई पर कच्चें धागों में पक्कें का प्रेम सच्चा बंधंन।
कल तक खेल रहीं थी घर के आँगन में, अब पिया के प्रांगण में
जब दीया याद आता हैं, तो वाती याद आती हैं।
जब बहना याद आती हैं, तो राख़ी याद आती हैं।
                           
                 
                तरूण कुमार, सावन
                 चित्र-Google  

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

तिरंगा जिनके लिए कफन है



 
     जिनकी वीरता और शौर्य के गीत भजन है,
             उनको नमन है।     
      जिनकी कुर्बानियों पर नीर भरे नयन है,
              उनको नमन है।
           जो शाहदत का फूल बने,
         दुश्मन की आँखों का शूल बने।
    रणभूमि में जाकर जो शिवजी का त्रिसूल बने।
    माँ भारती की धूल जिनके माथे का चंदन है।
          तिरंगा जिनके लिए कफन है,
               उनको नमन् है ।।
     बेटे वही जिनमें प्राण देकर दूध का कर्ज
           चुकाने की इच्छा प्रबल है।
         माँ वहीं जो दूध के साथ नैनों के
             अर्पण करती कमल है।
       जिसकी लोरी और कहानी के नायकों में
     आज भी राजगुरू,सुखदेव भगत सिंह सी लग्न है।
        आजाद भारत की धरती और गगन है,
                उनको नमन है।।
               बहन वहीं जो ये कहें,  
       मातृभूमि मान बढाना तुम्हें राँखी की कसम है।
               पिता वहीं जो ये कहें,  
        रण में लड़ना ही तुम्हारा कर्म और धर्म है।
         तुम बिन सुना माँ यशोदा का आँगन,
               नंद के वन उपवन हैं।
      शीश देने की कला में माहिर जो भारत के रतन है,
                 उनको नमन है।।
         नव यौवनाओं के लड़कपन की चहक।
         कली से फूल बनें नव श्रृंगार की महक।
            शब्द भी जब कंठ में गए थे अटक,
              मांग से झड़ते सिदूंर की धमक,
               चूड़ियों के चटकने की कसक
            चुटकी भर उस लाल रंग की चमक
            जिससे कायम हैं भारत का चमन है,
                      उसको नमन है ।।
                तिरंगा जिनके लिए कफन है,
                       उनको नमन है ।। 
                                 
       द सी एक्सप्रेस में प्रकाशित मेरी तीन कविताओं में से एक यह भी।                              
         तरूण कुमार, सावन