जिनकी वीरता और शौर्य के गीत भजन है,
उनको नमन है।
जिनकी कुर्बानियों पर नीर भरे नयन है,
उनको नमन है।
जो शाहदत का फूल बने,
दुश्मन की आँखों का शूल बने।
रणभूमि में जाकर जो शिवजी का त्रिसूल बने।
माँ भारती की धूल जिनके माथे का चंदन है।
तिरंगा जिनके लिए कफन है,
उनको नमन् है ।।
बेटे वही जिनमें प्राण देकर दूध
का कर्ज
चुकाने की इच्छा प्रबल है।
माँ वहीं जो दूध के साथ नैनों के
अर्पण करती कमल है।
जिसकी लोरी और कहानी के नायकों में
आज भी राजगुरू,सुखदेव भगत सिंह सी लग्न है।
आजाद भारत की धरती और गगन है,
उनको नमन है।।
बहन वहीं जो ये कहें,
मातृभूमि मान बढाना तुम्हें राँखी की कसम है।
पिता वहीं जो ये कहें,
रण में लड़ना ही तुम्हारा कर्म और धर्म है।
तुम बिन सुना माँ यशोदा का आँगन,
नंद के वन उपवन हैं।
शीश देने की कला में माहिर जो भारत के रतन है,
उनको नमन है।।
नव यौवनाओं के लड़कपन की चहक।
कली से फूल बनें नव श्रृंगार की महक।
शब्द भी जब कंठ में गए थे
अटक,
मांग से झड़ते सिदूंर की
धमक,
चूड़ियों के चटकने की कसक
चुटकी भर उस लाल रंग की चमक
जिससे कायम हैं भारत का चमन है,
उसको नमन है ।।
तिरंगा जिनके लिए कफन है,
उनको नमन है ।।
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
देश प्रेम की भावना को सलाम ..........
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस पर सुन्दर अभिव्यक्ति, उन सभी देशभक्तों और वीर सपूतों को सलाम जिनकी वजह से हम सब इस आज़ादी को देख पा रहे है. वन्दे मातरम्!
जवाब देंहटाएंदेश भक्ति की भावनाओं से ओतप्रोत बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : पाओलो कोएलो को पढ़ते हुए
सुन्दर व सार्थक रचना ..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
अच्छा लिखते हो । थोड़ा सा टंकण के समय अशुद्धियों पर भी ध्यान दो । ब्लाग फौलोवर गैजेट भी लगाओ ताकि फौलो किया जा सके और छपने की खबर मिलती रहे :)
जवाब देंहटाएंशुभकामनाऐं ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 25 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंएक अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंदेश प्रेम के भाव से प्रेरित लाजवाब रचना है ...
जवाब देंहटाएंउनको मेरा नमन है ..बहुत ही प्रेरक और अनुकरणीय भाव . उतनी ही सुन्दर अभिव्यक्ति .
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